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27 May 2023 · 1 min read

गीत06

गीत
—-
घर माटी का औऱ पूस की रात ।।
🌹
कैसे आग जलाएँ घर में ,
बरफ पड़ी निर्जन अम्बर में ।
सीना तान तिमिर हँसता है,
आधी मजदूरी दिन भर में ।
डर राजा का और बाज की घात ।।
🌹
टूटी खटिया फटी रजाई,
फूटी पड़ती रोज रुलाई ।
बिना दूध के मुनिया रोती,
मन में बसी मुराद बिलाई । दृग पहुंचें सपनोँ कहाँ बिसात ।।
🌹
बहुरेंगे दिन पता नहीं है,
अंगारों पर राख जमी है।
गलियों में कुत्तों का डर है,
नयनों में जम रही नमी है।
दूब हुई तर मुई शीत बदजात ।।
🌹🌹
श्याम सुंदर तिवारी

64 Views
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