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20 Jun 2018 · 1 min read

गीत

“पाती ”

बैठ सँजोए कितने सपने
यादों पर मनमीत लिखूँ,
महक उठी बेला उपवन में
एक नवल मैं गीत लिखूँ।

जूही, बेला केश सजाकर
तन-मन मेरा महकाया
अधरों पर मुस्कान खिलाकर
आँचल तेरा सरसाया।

पायल की सरगम पर तेरी-
पवन बसंती प्रीत लिखूँ।
एक नवल मैं गीत लिखूँ।।

किंचित मृदु भावों से भरकर
अंतस मन पुलकित होता
भीनी माटी की खुशबू से
रोम-रोम सुरभित होता।

सजा रूप कलियों से तेरा-
प्रेम- जगत की रीत लिखूँ।
एक नवल मैं गीत लिखूँ।।

साँसों में विश्वास जगाकर
अरमानों को सहलाया
फूलों की रंगत छितराकर
घर-आँगन को दमकाया।

नयनों में भरकर आँसू मैं-
आज विरह संगीत लिखूँ।
एक नवल मैं गीत लिखूँ।।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
महमूरगंज, वाराणसी।(उ.प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर

Language: Hindi
Tag: गीत
402 Views
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