गीत
अरे ओ बादल!
आ कर बरस जा गुलशन ए बहार में,
देख सूखने लगी है टहनियां ,
दरख्तों की तेरे इंतजार में ।
मंदिर गया मस्जिद गया ,
गया निजामुद्दीन के मज़ार में;
पर है खुदा की माया,
वो मिल गया मुझे मेरे यार में।
होठों पर हंसी, आंखों में ख्वाहिशें
और चेहरे पर उलझन,
चलते फिरते कई ग़ालिब,
मिलते हैं शहर के बाज़ार में।
: आलोक ( गीत)