“गीत”
प्रिय तुम छेड़ो साज वही
जो पहली बार सुने थे |
राग वही अनुराग वही
प्रिय तुम छेड़ो साज वही …..
नजरें मेरी जम जायें
लब दोनों ही सिल जायें
जतन करो रम जाउँ यहीँ
अंदाज़ वही बात वही
प्रिय तुम छेड़ो साज वही …..
हलचल मन की थम जाये
सुध बुध अपनी खो जाये
मनके तार मिला मन से
बातें कर लो आज वही
प्रिय तुम छेड़ो साज वही ….
कुछ कहना खुले केश पर
बुंदे पर, कुछ इस नथ पर
तोड़ो चुप्पी कुछ कह दो न
बात वही अनुराग वही
प्रिय तुम छेड़ो साज वही ….
“छाया”