गीत
पत्थर पानी मिलकर गाते
झरने बीन सुनाते
नाच रही नागिन सी बूँदें
ताली विटप बजाते
दर्शक बनी लताएँ पौधें
हर्षित मुख से झूमें।
पवन झकोरों से हिलमिल कर
इक दूजे को चूमें ॥
नई नवेली बल्लरियों को
छेड़-छेड़ हर्षाते..
सरिताओं को खुशियाँ देकर
सुख संसार को देते
शस्य श्यामला धरती करके
सबका मन हर लेते
स्वार्थहीन स्नेहिल भावों से
जैसे हृदय लुटाते
पावस से पाकर अनुकम्पा
पावन धरती करते
बादल से लेकर शीतलता
कोमलता मन भरते
सुधा सिक्त साँसों को करते
जीवन ज्योंति जलाते .