गीत
मेरी आंखों के आंसू,
तुम को जो दिख जाते।
जाते-जाते सहसा ही,
तुम जो रूक जाते ।।
इस मलिन ह्रदय की ,
आशा ज्योति न बुझती,
टूट चुकी सांसों की,
माला कभी न रुकती,
सपने मेरे क्षण भर में,
बरबस पूरे हो जाते ।।
सागर में छिन जाए,
जब सीप से मोती,
तब आंखें बरबस,
निस दिन है रोती,
बादल के आगे हैं ,
पर्वत भी झुक जाते ।।
अपनी कहानी थी ,
कुछ झूठी कुछ सच्ची,
दर्द अधिक था उसमें,
फिर भी थी अच्छी,
सुनते सुनते दीपक भी,
थक कर थे बुझ जाते।।
जय प्रकाश श्रीवास्तव पूनम