गीत
तिरंगा की सलामी में, खड़ा है राष्ट्रबल सारा।
हमारी एकता का पर्व है ,गणतंत्र यह प्यारा।।
जले हैं अनगिनत दीपक, वतन की हर इमारत पर।
बिछे हैं फूल चरणों में, सपूतों की शहादत पर।।
तिरंगा हर जुबाँ की शान, सबकी आँख का तारा।
मिटाकर नफ़रती दीवार, हम सब एक हो जाएँ।
कसम लें संविधानों की, खतम मतभेद हो जाएँ।।
हमारे राष्ट्र का सैनिक कभी, लड़कर नहीं हारा।
हिमालय का मुकुट ऊँचा, हमारे राष्ट्र ने पहना ।
नदी, पर्वत, घने जंगल, खनिजभंडार हैं गहना।।
जगत कल्याण अपने राष्ट्र का, सबसे बड़ा नारा ।
जगदीश शर्मा सहज