गीत
गीत गाना हमें भी तो सिखलाइए।
स्वर मिलाना हमें भी तो सिखलाइए।।
सुन रहे आपको मुस्कुराते हुए।
हर्ष में डूबकर गुनगुनाते हुए।।
आपके कीमती शब्द संसार में।
डूब जाना हमें भी तो सिखलाइए।।
गीत को आपने जी लिया किस तरह।
खौलते नीर को पी लिया किस तरह।।
आपके गीत की पंक्तियों की तरह।
लहलहाना हमें भी तो सिखलाइए।।
गीत सुनकर हृदय को शमन मिल गया।
झील में जैसे ताज़ा कमल खिल गया।।
यूँ गले में सुरीली गमक घोलकर।
भाव लाना हमें भी तो सिखलाइए।।
जगदीश शर्मा सहज /