#गीत-
#गीत-
■ तन के उजले, मन से काले।
【प्रणय प्रभात】
दिल संभलता नहीं है संभाले।
प्रेम है रोग रोग कौन पाले??
● दिल की बातों में मत आना,
इसका काम है आग लगाना।
ख़ुद जलना फिर जलते जाना,
आंखों से आंसू गिरवाना।
दिल दिवाने के खेल हैं निराले।
प्रेम है रोग रोग कौन पाले??
● जिस पे मरो वो मारे जाए,
दिल को छीने चैन चुराए।
भूख उड़ाए, प्यास उड़ाए,
दुनिया में रुसवा करवाए।
बच सके तो तू दामन बचा ले।
प्रेम है रोग रोग कौन पाले??
● सांसों का गुमनाम सफ़र है,
दुनिया की अंजान डगर है।
ये दुनिया बस रूपनगर है,
याद ये रखना चलना अगर है।
पग से घातक हैं मन के ये छाले।
प्रेम है रोग रोग कौन पाले??
● सूरत का धनवान न देखो,
चेहरों की मुस्कान न देखो।
हर इक में इंसान न देखो,
हर बुत में भगवान न देखो।
तन के उजले भी मन से हैं काले।
प्रेम है रोग रोग कौन पाले??
दिल संभलता नहीं है संभाले।
प्रेम है रोग रोग कौन पाले??
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)