गीत
एक गीत…
हमारी जाँ पे आफत हो रही है,
हमे जब से मुहब्बत हो रही हैं।।
नही है होश मुझको रात दिन का,
नशे की जैसी हालत हो रही है ।।।
मुखड़ा
खुली आँखों से सपने देखते हैं,
हसी लम्हे यूँ अपने देखते हैं,
बना के आशियाँ अम्बर में अक्सर,
तेरे तारो से गहने देखते हैं,
निगाहो से भी चाहत हो रही हैं,
हमे जब से मुहब्बत हो रही हैं।।
मेरे दिलबर मेरा एतबार तू हैं,
मेरा जीवन मेरा संसार तू हैं,
जमाने की भला है क्या जरूरत?
मेरी इस जिंदगी का सार तू हैं।।
खयालो में भी राहत हो रही हैं,
हमे जब से मुहब्बत हो रही हैं।।
गोविन्द शर्मा