गीत
पास नहीं थी चिंता कोई,बना रहा हरदम शहजादा।
चषक नहीं भौतिकता का था,जीवन था सीधा-सादा।
सदा प्रसून खुशी के ही,
मेरे दामन में थे टाँके।
तात तुम्हारे दम पर ही मैं,
रहता बना बिहारी बाँके।
चले गए मझधार छोड़कर,तोड़ दिया अपना वादा।
पास नहीं थी चिंता कोई,बना रहा हरदम शहजादा।
तप्त मरुस्थल आभासित हो,
हरीतिमा धारे सावन।
संघर्षों की अकथ कहानी,
जीवन नदिया सा पावन।।
आहत मन है, भीगी आँखें,शब्द समझते मर्यादा।
पास नहीं थी चिंता कोई,बना रहा हरदम शहजादा।
आशीर्वाद चंपई करता,
अहर्निश जीवन सुवासित।
आवेगमय नव उर्मियों से,
मंदाकिनी-सा निनादित।
अनुगमन हो आदर्श पथ का,है अखंडित ये इरादा।
पास नहीं थी चिंता कोई,बना रहा हरदम शहजादा।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय