गीत
गीत
खट्टी मीट्ठी यादों के संग
जाने वाला जो चला जाए, ना लौट के आए
खट्टी -मीठी यादें सताए ,रह रह के मेरे यार।
जीवन एक पंखेरू है
दाना चुग के उड़ना है
एक जगह ना टिकना है
चाहे कोई जाल बिछाए या झूला झुलाए
खट्टी- मीठी यादें सताए रह- रह के मेरे यार
दो दिन का मेला है
लाख यहां झमेला है
सुख-दुख का रेला है
चाहे खूब पैसा कमाए या महल बनाए।
खट्टी मीठी यादें सताए, रह रह के मेरे यार।
आता साल भी जाएगा
कई नेमत दे जाएगा
जीने का ढंग सिखाएगा
चाहे हमें खूब हँसाए या खूब रुलाए
खट्टी मीठी याद सताए ,रह रह के मेरे यार
जाने वाला जो चला जाए ,ना लौट के आए
खट्टी मीठी यादें सताए रह रह के मेरे यार।
ललिता कश्यप सायर डोभा
जिला बिलासपुर (हि0प्र0)