गीत
पञ्चचामर छंद में गीत
‘भारती पुकारती’
धरा सपूत ओज पुंज भारती पुकारती,
मशाल हाथ थाम भक्ति भारती हुँकारती।
सुना रहीं शहादतें शहीद की कहानियाँ,
मिटो स्वदेश के लिए दिखें नहीं उदासियाँ।
हटा अँधेर तीव्र ज्योति भारती निखारती,
मशाल हाथ थाम भक्ति भारती हुँकारती।
समूल नाश शत्रु का, सदैव ध्यान दीजिए,
भुला अनेकता सभी स्वदेश मान कीजिए।
जगा प्रदीप्त शौर्य शक्ति भारती सँवारती,
मशाल हाथ थाम भक्ति भारती हुँकारती।
तुरंत शीश दान दो जवान हिंद देश के,
रचो नये विहान को महान हिंद देश के।
अखंड भाव देश प्रीति भारती विचारती,
मशाल हाथ थाम भक्ति भारती हुँकारती।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’