गीत
प्रेम जब ह्दय होता है ,
तो दिल गाफिल होता है।
न दिखता कोई अपना ,
इश्क जब नाजिल होता है।
लहरें होश खोती है ,
समंदर ज़ोश भरता है ।
किनारे शर्त करते है ,
शाहिल बीच होता है ।
खींच दो फलक में पर्दे ,
सूरज कहा रूकता है ।
बादल बिखर जाते है ,
चाँद भी कम निकता है ।
मिले एक बूंद स्वाति की,
पीह का जीवन होता है ।
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स्वरचित :- शेख जाफर खान