गीत-1, प्रेम रास- चाँद के पार चलो
हिंदी विकास मंच*
धनबाद,झारखंड
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चल चल चल ,चल मेरे यार
आजा लेकर चलूँ में तुझे चाँद के पार
चाँद के पार बसा एक संसार
करेंगे वहाँ दिल खोल कर प्यार
चल चल चल ,चल मेरे यार
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आजा ले चलूँ में तुझे चाँद के पार
तन ये डरे मन हलचल हो
गगरी आधी हो,अधर जल हो
दिल मे तेरा ओर मेरा हलचल हो
चल चल चल ,चल मेरे यार
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अंग अंग बहे मधु पान करें
आओ हम तुम लीला रास करें
तेरा बिखरा दू ,सारा श्रृंगार
आजा लेकर चलूँ में तुझे चाँद के पार
चल चल चल ,चल मेरे यार
बाल को बिखरा सुबह को शाम तू कर
तोड़ दे शर्म हया एक बार
भर ले मुझे बाहों में करो मुझे प्यार
आजा लेकर चलूँ में तुझे चाँद के पार
चल चल चल ,चल मेरे यार
अब तो सुन ले मेरे दिल की पुकार
तन-मन से अपना बना ले एक बार
करना चाहता हूँ मैं तुझे दिलखोल कर प्यार
आजा लेकर चलूँ में तुझे चाँद के पार
चल चल चल ,चल मेरे यार
तुमारे साथ पाना चाहता हूँ खुशियां अपार
बदले में चाहे क्यों न होना पड़े समाज से बहिष्कार
फिर भी तुमसे करना चाहता हूँ जी भर के प्यार
आजा लेकर चलूँ में तुझे चाँद के पार
चल चल चल ,चल मेरे यार
राज वीर शर्मा
संस्थापक सह अध्यक्ष- हिंदी विकास मंच