गीत – हमारे गुलशन में आप आये
दुआएं जब से मिली तुम्हारी, लो टल गई है क़ज़ा हमारी।।
हमारे गुलशन में आप आये , बदल गई है फ़िज़ा हमारी।
तुम्हारे गालों पे छलके शबनम, जो चमके चांदी की बूँद जैसे।
मिली हो चातक को बूंद स्वाति, बुझी है ज़न्मों की प्यास जैसे।।
हो सात जन्मों का साथ तेरा, यही है अंतिम रज़ा हमारी।
हमारे गुलशन में आप आये…
वफ़ा तुम्हारी है हमने देखी, तेरी वफ़ा का नहीं है सानी।
वफ़ा करूँगा मैं मरते दम तक, बनेगी इक दिन अमर कहानी।।
बहार लेकर ये आया मौसम, बदल गई है ख़िज़ा हमारी।
हमारे गुलशन में आप आये…
किया तुम्ही से है प्यार मैंने, नहीं किया है गुनाह मैंने।।
नहीं है चाहत कि तुमको पाउँ, जो माँगी दिल मे पनाह मैंने।।
जो साथ छोड़ा कभी भी तुमने , यही तो होगी सजा हमारी।
हमारे गुलशन में आप आये…
✍? अरविंद राजपूत ‘कल्प’