गीत- वो धड़कन है मेरी, रगों में है बहती
मेरा प्यार दुनिया में सबसे हंसी है।
दिखे मुझको उसमे ही रब की छवि है।।
दरस उस के पाकर सफल होवे पूजा।
चले मेरी साँसे वो संजीवनी है।।
वरन उसका गोरा धवल चांदनी है।
बसे कंठ सरगम वो स्वर रागिनी है।।
कलम की पूजारन लिखे गीत मधुरम।
वही साधना है, मेरी सँगनी है।।
वो धड़कन है मेरी, रगों में है बहती।
मेरे जिस्म में रूह उसकी ही रहती।।
रहे वो कहीं भी, मैं सांँसो में पाऊँ।
बसे दिल मे मेरे, वो धड़कन बनी है।
तमन्ना यही ‘कल्प’, चमके सितारा।
दिवाना जमाना हो उसका ही सारा।।
नही आरजू मेरी, पाऊँ मैं उनको।
मिले सौहरत उसको, वो आराधनी है।।
✍?अरविंद राजपूत ‘कल्प’
बह्रे- मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम
वज़्न- फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन