गीत-1 (स्वामी विवेकानंद जी)
जाकर किया शिकागो में जब,भगिनी भ्राता संबोधन।
रहा गूँजता बहुत देर तक,सुनकर करतल ध्वनि गर्जन।।
सिर पर पगड़ी तन पर भगवा,वस्त्र सुशोभित थे जिनके।
आकर्षण का केंद्र बिंदु थे, स्वामी जी सबके मन के।
लोहा माना था भारत का,सुन अध्यात्म और दर्शन।
जाकर किया शिकागो में जब—
सुनकर तर्क तथ्य भाषा को, विस्मित सा था जग सारा।
स्वामी जी पर लोगों ने था, अपना सब कुछ वारा।
किया सनातन का पश्चिम ने, खुले हृदय से आलिंगन।
जाकर किया शिकागो में जब—
अपनी संस्कृति संस्कार का, जो करता है संरक्षण।
पूज्य मान नत मस्तक होते,उसके सम्मुख जन गण।
राष्ट्र धर्म की रक्षा के हित, करें सोच में परिवर्तन।
जाकर किया शिकागो में जब—