गीत मैं गाता नहीं हूँ
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गीत मैं गाता नहीं हूँ।
उँगलियाँ स्थिर रखे हैं वीण पर;
तूलिका है अनछुआ और
रागिनी की राग या आलाप को
चुपिया लिया है।
दर्द की पीड़ा परन्तु,
वीण को झकझोर देता।
थरथरा उठती उँगलियाँ
रागिनी है फूट पड़ती
तूलिका में रँग भर जाती है
अपने आप ही।
कुचल जाती जब कभी मेरी हविस् है,
जब विवशता बाँध लेती पाश में।
जब कभी आवाज खो जाती गले में
चीख बन
और आँसू भाप बन जाते हैं उड़
आकाश में
स्वर व्यथा से भीग जाती
गीत बन जाती वही।
गीत रिद्म में रोया रुदन है।
मन की कोमल भावनाओं का विवरण है।
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