गीत- माँ की सूरत
ये मत पूछो माँ की कैसी सूरत होती है।
त्याग, प्रेम और ममता की वो मूरत होती है।
1.
हमे सुलाकर सूखे में खुद सीलन है सहती,
हमे खिलाकर भोजन औऱ खुद भूखी है रहती,
सुख- दुख सब हँस कर सहने की, सीरत होती है।।1।।
2.
माँ ही मन्दिर माँ ही मस्जिद,माँ ही तीरथ धाम है,
माँ चरणों की सेवा से सब बनते बिगड़े काम है,
माँ के दम से ही हर घर में ,जीनत होती है।।2।।
3.
माँ हृदय सागर से गहरा ममता बड़ी महान है,
माँ चरणों मे वो भी झुकता, जिसने रचा जहान है,
माँ के पैरों तले ही सारी, जन्नत होती है।।3।।
पवन कुमार नीरज
चौक मौहल्ला कामां, भरतपुर,
राजस्थान 321022
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