गीत. बेटियाँ
गीत
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बेटी नही तो ये जहान क्या जहान है
रॊनक कहाँ है फिर तो महज वो मशान है ।
माँ बाप के अब्सार की दरकार बेटियाँ
बेटी है तो खुशियों से लदा आसमान है ।
हर घर का नूर होती हैं प्यारी ये बेटियाँ
सृष्टि मे हूर होतीं दुलारी ये बेटियाँ
बेटी है तो हमारी आन मान शान है
बेटी नही तो ये जहान क्या जहान है ।
बख्शी हैं जो ख़ुदा ने वो बरकत हैं बेटियाँ
जन्नत ज़मीं है जिनसे वो ज़ीनत हैं बेटियाँ
बेटी है तो आँगन ही यहाँ पर बागान है
बेटी नही तो ये जहान क्या जहान है
अपनी कभी पराई कहातीं ये बेटियाँ
ये इक नहीं दो घर को सजातीं हैं बेटियाँ
बेटी की पैजनी से खनकता मकान है
बेटी नही तो ये जहान क्या जहान है ।
करना न बेड़ियों मे गिरफ्तार बेटियाँ
इज्जत की इक नज़र की तलबगार बेटियाँ
बेटी है तो हर कॊम का नामो- निशान है
बेटी नही तो ये जहान क्या जहान है ।
गीतेश दुबे ” गीत “