गीत- कहने को तो साथ हमारे चाँद-सितारे रहते हैं
गीत- कहने को तो साथ हमारे चाँद-सितारे रहते हैं
________________________________
तुम रहते हो, खुशियों के भी मौसम सारे रहते हैं
फिर भी हम जीवन से कितने हारे-हारे रहते हैं
…
थक जाते हैं चलते चलते
कैसी मंजिल ढूँढ रहे
मझधारों से प्यार किया है
लेकिन साहिल ढूँढ रहे
कहने को तो साथ हमारे चाँद-सितारे रहते हैं-
फिर भी हम जीवन से कितने हारे-हारे रहते हैं
…
महफिल में हैं फिर भी जैसे
लगता आज अकेले हैं
हमने तो बस रोना सीखा
जग में कितने मेले हैं
दुनिया के हर खिलते लम्हें साथ हमारे रहतेे हैं
फिर भी हम जीवन से कितने हारे-हारे रहते हैं
…
दर्द भरे धुन गाने वाले
साज बजाते शहनाई
दिन की चाहत में कट जाती
रातों की भी तन्हाई
फूलों के सँग काँटे भी तो रूप सँवारे रहते हैं-
फिर भी हम जीवन से कितने हारे-हारे रहते हैं
– आकाश महेशपुरी