गीत (नशा बंदी)
मत नशा करै भरतार , तुझै करवा दूगीं दीदार,
पूर्ण परमात्मा का।
तू नशा करै है ऐसा, घट जाये मान पद पैसा ।
तेरा हाल सियार के जैसा, घर बना ढेर घूरे का।
मेरी अक्ल बड़ी हैरान, बना क्यों अब तक तू नादान,
झोझरे बरतन सा। (1)
मत नशा करै ———–
तेरे साथी मतलब खोरे , घर शराब भांग के बोरे।
रही लाज शर्म नहीं तोरे, क्यों भाग फोड़ दिये मोरे।
तेरे यार बडे़ ही ख्वार, करैं दिन रात बडा़ प्रचार ,
ये थोथी बातन का। (२)
मत नशा करै————
मत कालै खल से तेल, सत्गुरु से कर ले मेल ।
कर देंगी माफ बदफैल, म्हारी दोड़ पडे़गी रेल ।
कर मंगू प्रचार, बसा है घर घर मे निरंकार ।
दोष तेरे झांकन का। (३)