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16 Jan 2024 · 1 min read

गीत नया गाता हूं।

गीत नया गाता हूं।
अपने हठयोग से नभ को झुकाया है,
गर्वीला सागर भी हाथ जोड़ आया है,
जीवन से भर दिया हाथों को फेरकर,
प्रस्तर कठोर को मोम सा बनाया है,
रचना भी मैं ही हूं मैं ही विधाता हूं।

गीत नया गाता हूं।
कोसल से लंका तक मैंने अभियान किया,
पथ में संग आया जो उसका सम्मान किया,
दुर्बल को पीड़ा दी जिसने रुलाया है,
निर्मम हो बाणों से उसका संधान किया,
पुण्य के पथ को सुगम मैं बनाता हूं।

गीत नया गाता हूं।
सदियों की पीड़ा का मन में कोलाहल है,
कानों में गूंजता निसाचर कोलाहल है,
शब्दों की सीमा है बांध नहीं सकते हैं,
अनगिन आघातों से तन मन ये घायल है,
नेह रहे वसुधा में सब कुछ भुलाता हूं।

गीत नया गाता हूं।
जिनको शरण दिया उनके प्रतिघातों से,
जूझता निरंतर हूं षड्यंत्र घातों से,
निश्चित जयकारा है निश्चित सवेरा है,
कहता ये आया हूं काजल सी रातों से,
मुट्ठी भर मिट्टी से मंदिर बनाता हूं।
गीत नया गाता हूं।
Kumar Kalhans

Language: Hindi
Tag: गीत
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