गीत:- तेरे बिन इक़ पल भी मुश्किल रहना है।
शे’र:-
शमाँ इश्क़ की दिल मे जलने लगी है।
जमी बर्फ़ दिल मे पिघलने लगी है।।
सजे ख़्वाब साजन तेरे नूर से ही।
तुझे देख धड़कन मचलने लगी है।।
मुखडा:-
खुशियों का संसार तुम्हें बस देना है।।
तेरे बिन इक़ पल भी मुश्किल रहना है।
आंखों में सपने तुम्हारे हैं साजन।
मरते दम तक नाम तेरा इक़ लेना है।।
अंतरा:- 【1】
हाथ अपने हाथ मे ले कर दिया पावन।
चूम कर सूखे लबों को कर दिया सावन।।
बाहों के झूले झुलाना प्रीत मन भावन।
आँख में सपने सजे हैं बस तेरे साजन।।
साजन साजन साजन साजन
साजन साजन साजन साजन
साजन मेरे साजन, मेरे साजन
साजन मेरे साजन,साजन मेरे साजन
साजन साजन साजन साजन
साजन साजन साजन साजन साजन
मेरे साजन,साजन मेरे साजन
बाहों में तेरी दम निकले कहना है।
तेरे बिन इक़ पल भी मुश्किल रहना है।
【2】
दिल का इक़ मेहमान प्यारा मिल गया मुझको।
‘कल्प’ पगला सा दिवाना मिल गया तुझको।।
जीने कि तुमने ही इक़ आशा जगाई है।
ज्योत दिल मे प्यार की तुमने जलाई है।।
मीठा.. मीठा.. मीठा सा इक़ दर्द प्यार का सहना है।
तेरे बिन इक़ पल भी मुश्किल रहना है।।
✍?? अरविंद राजपूत ‘कल्प’?✍?