गीत गुरमत का रंग
गुरमत के रंग में रंग दो, गुरु जी मेरा मन।
गुरु जी मेंरा मन प्रभु जी मेरा मन।
अपने ही रंग में रंग दो , प्रभु जी में रा मन।
जब मेरा मन गुरमत से नाटे,
सत्संग मे जाने से फाटे।
अपने ही बचनो से डांटे, गुरु जी मेंरा मन ।। १।।
घर में किसी दूजे को ना चाहवे।
गुर सिख की सेवा ना भावे।
मन का ये भाव मिटावे , गुरु जी मेरा मन । । २।।
भाई कन्हैया जैसा कर दो।
गुर मत कूट कूट कर भर दो।
जिन्ना बाई जैसा वर दो , गुरु जी मेरा मन।। ३।।
धैर्य थिरुवल्लूवर जैसा।
मंगू बोल शहंशाह जी जैसा।
गुरु रविदास की भक्ति भर दो, गुरु जी मेरा मन।। ४।।
गुरमत के रंग मे रंग दो, गुरु जी मेरा मन।।