गीतिका
गीतिका-
आकुल अंतर चाह रहा है,कुछ अपनी कुंठाएँ लिखना।
रूठ गए जो अपने साथी ,उनके लिए दुआएँ लिखना।1
दुर्गम , तुंग श्रृंग पर बैठे, जो बनकर प्रहरी सीमा के,
उन सब वीर जवानों की ,लेता देश बलाएँ लिखना।2
पौष-माघ की सर्दी में जो ,रात गुजारें फुटपाथों पर,
उन अपनों के टूटे दिल की,थोड़ी-सी पीड़ाएँ लिखना।3
सरकारी निर्णय से कोई,अगर असहमति हो जाती है,
आज़ादी के राष्ट्र-विरोधी,नारे नहीं लगाएँ लिखना।।4
शक्ति-स्वरूपा जन्म-दायिनी, जो संपूज्या आराध्या हैं,
सृष्टि-चक्र करती संचालित,आओ उन्हें बढ़ाएँ लिखना।।5
सालों से जिन लालों का मग ,देख रहीं हैं बूढ़ी आँखें,
अपने माँ-बापू से मिलने,वे घर आएँ-जाएँ लिखना।6
आज वही हैं बेबस भूखे,जिनके कारण हम जीवित हैं,
उनकी करुण पुकार सुनो,वे अब घास न खाएँ लिखना।7
डाॅ बिपिन पाण्डेय