गीतिका
घृणा की कहानी सुनाते रहे।
दिलों बीच दूरी बढ़ाते रहे।।1
भले बात बोलें सनी चासनी,
सुना नाम मजहब लड़ाते रहे।।2
सियासी दलों की न बातें करो,
हमेशा सभी बरगलाते रहे।।3
महावीर ,गाँधी जपें बुद्ध जो,
वही लोग हिंसा सिखाते रहे।।4
गले से लगाया भुला दुश्मनी,
सदा जख्म अपने छुपाते रहे।।5
लुटेरे बने जो घुसे देश में,
उन्हें हम गले से लगाते रहे।।6
क़दम लड़खड़ाए भले हों कभी,
मशालें सदा हम जलाते रहे।।7
डाॅ बिपिन पाण्डेय