गीतिका
(आधार छंद-मंगलवत्थू)
कहता है संसार, चुनौती दे डालो।
कभी न मानो हार,चुनौती दे डालो।।1
बनो स्वयं में सुदृढ़,त्याग दो दुर्बलता,
जाना है उस पार ,चुनौती दे डालो।।2
यदि सत्ता का सूर्य,न मेटे अँधियारा,
करो न हाहाकार ,चुनौती दे डालो।।3
जब पथरीली राह,लक्ष्य से दूर करे,
बैठो मत मन मार,चुनौती दे डालो।।4
बने आसुरी शक्ति,स्वामिनी जब अपनी,
करके तीक्ष्ण प्रहार, चुनौती दे डालो।।5
यदि संकट आसन्न,दिखाई दे जाए,
बनो नहीं मक्कार,चुनौती दे डालो।।6
टूटे जब विश्वास,नहीं प्रिय घबराना,
हो सपना साकार, चुनौती दे डालो।।7
डाॅ बिपिन पाण्डेय