गीतिका ******* आधार छंद – मंगलमाया
है जीवन संस्कार , तुम्हारी आँखों में।
देखा हमने प्यार , तुम्हारी आँखों में॥
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बाँधे धागे स्नेह , रक्षा बंधन साथ,
बसा हृदय त्यौहार,तुम्हारी आँखों में॥
विगत हो अंतराल , दूभर ये दूरियाँ।
दिखे हैं इंतजार ,तुम्हारी आँखों में ॥
सुधियाँ अंगड़ाई , गूँथे बचपन साथ।
महके भावन ज्वार,तुम्हारी आँखों में॥
अनेक झगड़े साथ ,मात पिता की डाँट।
रूठे पुनि मनुहार , तुम्हारी आँखों में ॥
तिलक रोली चंदन ,मीठी सी तकरार।
आत्मीय समाहार , तुम्हारी आँखों में ॥
भाई बहना सार ,परवरिश यह दुलार।
महकाता संसार , तुम्हारी आँखों में ॥
___________अलका गुप्ता ‘भारती’__