गीतिका।
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गीतिका।
बाधाओं से क्यों डरते हो।
जीने से पहले मरते हो।।
दूर करो सब बाधाओं को।
हिम्मत खुद ही कम करते हो।।
देख बहारों के गुलशन को।
ठंडी आहें क्यों भरते हो।।
बहुत मिलेंगे बन कर भाई।
इनके हाथों क्यों मरते हो।।
लुभावनी बातें यह करते।
भावुकता में क्यों बहते हो।।
बैरी लड़वाता आपस में।
जाल है यह क्यों फंसते हो।।
पंकज शर्मा “तरुण”