गीता नें अध्याय जोड़ दो
गीता में अध्याय जोड़ दो
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सतयुग बीता त्रेता बीता ,
द्वापर युग की बात छोड़ दो ।
गीता में अध्याय जोड़ दो ।।
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सोच रहे क्या भारति-नंदन, करुण पुकार करे मानवता ,
अस्त्र-शस्त्र से सज्जित होकर,बढ़ी आ रही है दानवता,
शैतानों के चक्रव्यूह में ,फिर न कोई अभिमन्यु आये ,
कर हुंकार बढ़ो तुम आगे, वीर श्रेष्ठ ! क्यों वक्त गँवाये ,
कौरव दल के गठबंधन को, नष्ट-भ्रष्ट कर तोड़-फोड़ दो ।
गीता में अध्याय जोड़ दो ।।
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छोड़ो हीन भावना मन की, अपने शस्त्रों को चमकाओ,
जातिभेद के रथी बदल कर , वर्ग रहित नव व्यूह रचाओ ,
मानवता के शत्रुओं को, तुमको सेवा पाठ पढ़ाना ,
बन जाऊँगा रथी तुम्हारा, विश्वोदय का रथ ले आना ,
विश्व विजय दिग्विजय करो तो , निजि स्वार्थ का कुम्भ फोड़ दो ।
गीता में अध्याय जोड़ दो ।।
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पंचशील का शंखनाद कर,जन जागृति के तीर चलाओ,
धारण कर लो शक्ति धैर्य की ,खड्ग अहिंसा को अपनाओ,
बाँधो ढाल नम्रता की तुम , क्षमा दुधारी से सज जाओ ,
पहनो विनय जिरह बख्तर तुम , नूतन रणभेरी बजवाओ ,
फिर गांडीव उठा लो अर्जुन !, युद्ध प्रेम की ओर मोड़ दो ।
गीता में अध्याय जोड़ दो ।।
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एक बात सुन वीर शिरोमणि ! श्रेष्ठ युगों में कलयुग होगा,
नाम मात्र के उद्यम ही से, ज्ञान बढ़े विज्ञान बढ़ेगा ,
शांति मंत्र का जाप जहाँ हो , मेरा वास वहीं पर होगा ,
मैं हूँ ब्रह्म कहे देता हूँ , भारत ही महाभारत होगा ,
फिर देता हूँ महामंत्र मैं ,कर्म करो तुम फल को छोड़ दो ।
गीता में अध्याय जोड़ दो ।।
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-महेश जैन ‘ज्योति’,