गीतांश….
गीतांश….
जनक नंदनी सखी शोभा अवध की
धीर ना धरे मन आए सुध उनकी!
रोए महल और, रोए फुलवारी
निक लगे व्यंजन न भाए सोहारी
हाल कही जाए न राम जननिन की
जनक नंदनी सखी शोभा अवध की
धीर ना धरे मन आए सुध उनकी!
@योगिनी काजोल