गिरावट
नीचे गिरते देख हर बार आयाम आखरी लगता है,
कीर्तिमान ऊंचाइयों का ही नहीं गिरने का भी हो सकता है।
हर गिरावट पर कीर्तिमान पहले का बिखरता है,
आयाम और भी हैं उनके हर कथन पर लगता है।
उनके गिरने के आयामों की थाह अब कठिन है,
आलम यह कि अब वो गिरता दिन प्रतिदिन है।
कुछ लोग ऊँचे उठने के कीर्तिमान बनाते हैं,
पर वो प्रतिदिन नीचे और नीचे गिरते जाते हैं।
जब अगले रोज गिरावट की खबर आती है,
पिछले दिन की गिरावट छोटी हो जाती है।
बहुत से स्तर पार कर लिये हैं नीचे गिरने के,
अभी भी गुरेज नहीं है उन्हें रसातल में उतरने से।