गिरने गिरने में अंतर है
मेरा जीवन
सूखती टहनी पे
मुरझाते
प्यासे पत्ते जैसा।
तेरा मिलना
पत्ते पर पानी
गिरने के जैसा।
फिर तेरा एक हवा के
झोंके से बह जाना,
फिर मेरा टहनी के
पत्ते सा तन्हा रह जाना।
यूँ पानी का
बहकर
दूर जमीं पर
अलग जमा होना,
फिर मेरा प्यासा रह जाना।
मेरा गिरना
पानी पर पत्ते के
गिरने जैसा।
यूँ प्यास बुझाना
है कैसा।
हाँ, अंतर है
गिरने गिरने में।
तेरा गिरना
जीवन देना,
मेरा गिरना
है मर जाना।
संजय नारायण