गिरधारी
नित दिन नाम तेरा ही,जपूँ मैं गिरधारी।
अब दर्शन दे दो मोहे,बोले राधा प्यारी।।१।।
जोगन मीरा की भाँति,जपता तेरा नाम।
बिगड़े सब काम बना ,ओ मेरे घनश्याम।।२।।
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रचना- पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृहजिला- सुपौल
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597