गिरते-गिरते गिर गया, जग में यूँ इंसान ।
गिरते-गिरते गिर गया, जग में यूँ इंसान ।
जिंदा कैसे मैं कहूँ, फिरता लाश समान ।।
✍️ अरविन्द “महम्मदाबादी”
गिरते-गिरते गिर गया, जग में यूँ इंसान ।
जिंदा कैसे मैं कहूँ, फिरता लाश समान ।।
✍️ अरविन्द “महम्मदाबादी”