गाहे-बगाहे
रिश्तों को साधने में बहुत टूटते रहे
गाहे-बगाहे सब ही मुझे लूटते रहे
मैं जो हुआ जवां तो हुआ हाय! ये सितम
बचपन के दोस्त मेरे सभी छूटते रहे
•••
रिश्तों को साधने में बहुत टूटते रहे
गाहे-बगाहे सब ही मुझे लूटते रहे
मैं जो हुआ जवां तो हुआ हाय! ये सितम
बचपन के दोस्त मेरे सभी छूटते रहे
•••