गागर गीतों की
भावों को चुन चुन कर लाई, मन की कच्ची गागर से
बात कही फिर अपने दिल की , छंदों के चारागर से
ऊँची – नीची लहरों में ही , मैं डूबी दिन – रात रही
गीतों के ये सीप निकाले, हैं शब्दों के सागर से
भावों को चुन चुन कर लाई, मन की कच्ची गागर से
गीतों के ये सीप निकाले हैं शब्दों के सागर से
ऊँची – नीची लहरों में ही , मैं डूबी दिन – रात रही
बात कही फिर अपने दिल की , छंदों के चारागर से
12-7-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद