गाते मेघ मल्हार
नाच मयूरा झूमकर, गाते मेघ मल्हार !
चढ़ा नाव पर आज फिर, माँझी ले पतवार !!
बादल बैरी हो गये, तब से अधिक रमेश!
कुदरत के जब से सभी,लगे कतरने केश!!
जिसको भी मौका मिला,लिया प्रकृति को नोच!
बरसे कैसे मेघ फिर,………..एक बार तो सोच!!
रमेश शर्मा.