गाऊँ कैसे प्रेम तराने
गाऊँ कैसे प्रेम तराने !
टूट गया जब दिल का दर्पण
दर्द भरा गुजरा है हर क्षण
याद कभी उसकी आती तो, पड़ते अश्रु बहाने
गाऊँ कैसे प्रेम तराने!
पीड़ाओं से हृदय भरा है
अंतर्मन का घाव हरा है
कैसे लिखें प्रेम परिभाषा, झूठे जब अफसाने
गाऊँ कैसे प्रेम तराने!
विपदाओं की विषम घड़ी है
इच्छाएँ सब शिथिल पड़ी हैं
मौन हुए हैं शब्द हमारे, दूर हुईं मुस्काने
गाऊँ कैसे प्रेम तराने!
अंतस से बस आह निकलती
धड़कन भी अब रुक रुक चलती
सहें आज हम ग़म को कैसे, बन्द हुए मयखाने
गाऊँ कैसे प्रेम तराने!
अभिनव मिश्र ‘अदम्य’