Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2022 · 5 min read

गांव शहर और हम ( कर्मण्य)

गाँव शहर और हम
इस पुस्तक में आपने शिक्षा, संस्कार, आदत, प्रेरणा और अंत मे सफलता व सफलता के मायने पढ़े आप ने जाना और समझा सफलता क्या है और असल मे सफल कौन है और सफलता के मायने क्या हैं उसी सन्दर्भ में इस अध्याय में गाँव की स्तिथि और महत्व के बारे में जानने कोशिश करेंगे जो हमारे जीवन का अहम हिस्सा है और जिसे जानना और समझना आवश्यक है सफलता के बाद भी अपनी जड़ों और गांवों से जुड़े रहना हमारी सफलता व्यापक और प्रेरक बनाता है।

समूचे विश्व को परम्पराओं, सभ्यताओं और संस्कृत से अवगत कराने वाला देश भारत जाति-पाति, भेद-भाव ऊंच-नीच काला- गोरा सब को समेटे हुए अनेकता में एकता और विविधता का प्रतीक बना हुआ है।
आज भारत मे स्मार्ट सिटीज बनाने की बात की जा रही है और कार्य भी हो रहा है लेकिन शहरों से ज्यादा गाँवों को प्यार और विकास की जरूरत है,
स्मार्ट सिटी नही बल्कि स्मार्ट गांव विकसित करने की जरूरत है।
अगर हम बात करें कुछ तथ्यों की तो
65 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है भारत मे 2011 सेंसेक्स के अनुसार 649481 गाँव हैं सबसे ज्यादा गांव उत्तर-प्रदेश (107753) में हैं उसके उसके बाद मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र और उड़ीसा है सबसे कम गांव केंद्र शासित प्रेदेशों में हैं,
और 37439 गांवों में 2011 तक 3 जी और 4 जी सुविधा नही पहुंच सकी थी।
लगभग 23 हजार करोड़ स्मार्ट सिटीज विकसित करने को रिलीज हुये हैं इसकी आधी रकम भी अलग से प्रदान कर स्मार्ट गाँव बनाने या मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने में खर्च किये जायें तो लोग गाँव छोडकर शहरों की तरफ न भागें। और गाँव भी विकास कर सकें।

भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व की 54 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 2022 तक हर व्यक्ति को घर देने की बात की जा रही है, योजनाएं सम्पूर्ण और सफल हो जाती हैं और जमीन पर आधी भी हकीकत दिखाई नहीं देती
ये बात अलग है कि शहरी आबादी लगातार बढ़ रही है इसका दो अर्थ हो सकता है पहला ज्यादा तर लोग शहर में रहना पसंद करते हैं, और रह रहे हैं, दूसरा कि गांव विकास कर के शहर की श्रेणी में आ रहें है। लेकिन दूसरे बात की संभावना बिल्कुल कम है
शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, विजली व पानी (फिलहाल पानी की दिक्कत गांव में शुरू से नहीं है) ग्राम वासियों की जरूरत और हक है जो उन्हें मिलना चाहिए।
गाँव में ही हमारी, परम्परा, सभ्यता, त्योहार,सामाजिकता और एकता बसती है इसिलए कहा जाता है कि भारत गाँवो में बसता है।
खाने को अनाज, दालें, दूध घी हमारे रोज के जरूरत की सारी चीजें गाँवो से आती हैं जो शुद्ध और पौष्टिक होती हैं
आज गाँवों की हालत घर के बुजुर्ग की तरह है जिसने सब को पाल पोस कर, पढ़ा-लिखा कर काबिल और समर्थ तो बना दिया पर अब सब अपनी जड़/बाप को ही भूल गए।
शहर तो गाँवों की संतान हैं, पहले सभी लोग , सभ्यताएं व संस्कृतियां गाँवों में ही थे क्यों कि पहले सिर्फ गाँव थे।
मनुष्य की दिनचर्या अथवा मानव समाज जो भी करता है (नियम, कानून, व्यवहार और परम्परा) और सदियों से करता आ रहा है वही उस समाज की सभ्यता और संस्कृति होती है।
और भारत की संस्कृति और सभ्यता बहुत प्राचीन और उत्कृष्ट है।
आजकल कुछ सफल और समृद्धि लोग जैसे नेता, अभिनेता और उधोगपति जो सफलता और सुकूँ के असली मायने जान चुके हैं अपने व अन्य गाँवो को गोद लेकर उनका जीर्णोद्धार कर प्राथमिक व आधुनिक सुविधाएं मुहैया कर आदर्श गांव बना रहे हैं पर कुछ लोग दिखावे के लिए गाँवो को गोद ले रहें हैं और गांव की हालत पहले जैसी ही हैं।
गांवों की बात होती है तो खेती और किसानों का जिक्र जरूर आता है। जो हमें जीवित रहने के लिए अनाज, फल, सब्जियां और दूध देने के साथ साथ स्वच्छ हवा के लिए पेंड-पौधे लगाते हैं।
पर आज गाँव और किसान की दुर्दशा है, सालों से लाखों किसान आत्महत्या कर चुके हैं
क्यों कि वो कृषि, और परिवार के भरण-पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए बैंक से लिया कर्ज नहीं चुका पाये और आत्महत्या ही अंतिम उपाय लगा उन्हें।
बहुत से किसान और बाप इसलिए भी मर गए या मेरे जा रहें हैं कि उनका कोई सहारा नहीं है जिन सन्तानो के लिए दिक्कतें झेले और कर्ज से दबे हैं उसे तो कुछ पता ही नहीं उसके सपने कुछ और हैं और वो किसी और दुनिया में है।
गाँवो और किसानों की दुर्गति के जिम्मेदार हम सब हैं खासकर पढ़े लिखे लोग जो जो गाँवो पैदा हुए खेले और बड़े हुए पर गांव से मोह नहीं लगा पाए।
एक बात और जो मैंने देश के विभिन्न राज्यों के गाँव मे घूमकर, रहकर व गांव वालों से बात कर के जानी है, कि स्कूल, और अस्पताल के साथ-साथ मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे भी आवश्यक हैं और लोगों ने इन धार्मिक जगहों की उपयोगिता बताई कि इन्ही जगहो पर हम विशेष अवसरों पर इक्ट्ठा होते हैं, अपने विचार और सुख-दुख साझा करते हैं, यही हमारे परंपराओ और एकता को बनाये हुए हैं,
गांव के लोगों ने बताया गाँव मे किसी को कैंसर हो गया था इलाज का खर्च बहुत ज्यादा था पर गाँव के लोगों ने इलाज का खर्च और अन्य सुविधाओं में सहयोग कर के उसे मौत के मुंह से निकाल लाये।
किसी के बच्चे की उच्च शिक्षा में गांव वालों ने पूरा सहयोग दिया और वो लड़का आज बड़े ओहदे पर है पर इस बात का उस बाप को अफसोस है कि जिसके लिये उसने रात दिन मेहनत की खुद कमियों में जीकर उसे हर सुविधा दी गाँव वालों ने साथ और सहयोग दिया वो गांव को भूलकर शहर की चकाचौंध में लिप्त है।
हमने अक्सर देखा और सुना है कि बड़े शहरों में लोग अपने घरों में मर जाते हैं लोगों को पता नहीं चलता और पड़ोसी को भी तब पता चलता है जब लास से दुर्गंध आती है। शहरों में कंधे देने को लोग नहीं मिलते लेकिन गांवों में प्रार्थना और सहयोग से मरते हुए को यमराज से छीन लेते हैं।

पर इन सब मे बेचारे शहर की क्या गलती वो तो अपनी जगह है बिना हिल-डुले, स्तब्ध और निःशब्द पर कुछ तो गलत है और वो हैं हम और हमारी सोच पढ़ लिख कर काबिल बनकर गाँवो को पिछड़ा और असुविधाग्रस्त मानकर वहीं छोड़ देते हैं, और सब भूलकर शहर की 24 घण्टे बिजली, पानी और अन्य सुविधाओं के साथ AC चालू कर के दिन भर की रेस खत्म कर के आराम से रहते हैं।
हम ये भूल जाते हैं कि हमारा पेट गांवों से आये अनाज, फल व सब्जियों से भरता है यदि इन सब का उत्पादन बंद हो जाये तो हमारे पैसे और सुविधाएं धरी धरी की धरी रह जायँगी, पैसे और सोना चांदी हम खा नहीं सकते
अगर इन्हें खाना शुरू कर दें तो हमारा पेट इसे पचा नहीं पायेगा जबकि सोना चांदी, लोहा, जस्ता और सब खाते हैं अनाज, फल और सब्जियों के माध्यम से।
इसलिए गाँवो और किसानों के विकास बेहतर बनाने के लिए आप सदैव सजग ततपर रहें। इस भागती दौड़ती दुनिया और जीवन रूक कर सोंचे और इन्हें समय और सहयोग दें।
हमारे बाद भी लोग रहेंगे हमारे अपने रहेंगे इसलिए इस धरती पर्यावरण और अपनों के लिये कुछ अच्छा कर के कुछ अच्छा छोड़ कर जाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए।

जयति जय हो..!

Language: Hindi
Tag: लेख
8 Likes · 4 Comments · 1193 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"सम्मान व संस्कार व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी अस्तित्व में र
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
गिरता है गुलमोहर ख्वाबों में
गिरता है गुलमोहर ख्वाबों में
शेखर सिंह
We can rock together!!
We can rock together!!
Rachana
" शिखर पर गुनगुनाओगे "
DrLakshman Jha Parimal
माँ
माँ
Neelam Sharma
पर्वत के जैसी हो गई है पीर  आदमी की
पर्वत के जैसी हो गई है पीर आदमी की
Manju sagar
*यूं सताना आज़माना छोड़ दे*
*यूं सताना आज़माना छोड़ दे*
sudhir kumar
*थोड़ा-थोड़ा दाग लगा है, सब की चुनरी में (हिंदी गजल)
*थोड़ा-थोड़ा दाग लगा है, सब की चुनरी में (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
🙅अनुभूत/अभिव्यक्त🙅
🙅अनुभूत/अभिव्यक्त🙅
*प्रणय*
आह और वाह
आह और वाह
ओनिका सेतिया 'अनु '
जा रहे हो तुम अपने धाम गणपति
जा रहे हो तुम अपने धाम गणपति
विशाल शुक्ल
पढ़-लिखकर जो बड़ा बन जाते हैं,
पढ़-लिखकर जो बड़ा बन जाते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
तुमको हक है जिंदगी अपनी जी लो खुशी से
तुमको हक है जिंदगी अपनी जी लो खुशी से
VINOD CHAUHAN
मुझे दर्द सहने की आदत हुई है।
मुझे दर्द सहने की आदत हुई है।
Taj Mohammad
वृक्षों की भरमार करो
वृक्षों की भरमार करो
Ritu Asooja
न लिखना जानूँ...
न लिखना जानूँ...
Satish Srijan
कविता
कविता
Shiva Awasthi
कितने ही रास्तों से
कितने ही रास्तों से
Chitra Bisht
3592.💐 *पूर्णिका* 💐
3592.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
पूर्वार्थ
वोट डालने जाना
वोट डालने जाना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रिश्तों का सच
रिश्तों का सच
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
"मानव-धर्म"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
सितारों की तरह चमकना है, तो सितारों की तरह जलना होगा।
सितारों की तरह चमकना है, तो सितारों की तरह जलना होगा।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
बचपन
बचपन
surenderpal vaidya
कहते- कहते थक गए,
कहते- कहते थक गए,
sushil sarna
दो लॉयर अति वीर
दो लॉयर अति वीर
AJAY AMITABH SUMAN
चुनाव
चुनाव
Lakhan Yadav
कहानी हर दिल की
कहानी हर दिल की
Surinder blackpen
ज़िंदगी इतनी मुश्किल भी नहीं
ज़िंदगी इतनी मुश्किल भी नहीं
Dheerja Sharma
Loading...