गांव में छुट्टियां
✍️ गांव में छुट्टियां
अब के बरस दादू के संग
छुट्टी सभी बिताना …
भरी दुपहरी चढ़ें नीम पर
गांव की सैर कराना…
पक्षियों को जब डालें दाना
चिड़िया चींचीं चहचहाती …
कबूतर करता गुटर गूं
कोयल मीठे गीत सुनाती…
मोर नाचे पंख फैलाए
छोटी गिलहरी भी बतियाती…
सुबह सवेरे जाएं खेत पर
पिएं गुड़ छाछ लोटा भर कर …
ताऊजी लाएं दूध काढ़ कर
कच्चा दूध पी जाएं गट गट…
कद्दू की सब्जी के संग में
खट्टी मीठी कैरी की लौंजी …
पूरी, गोल मटोल है फूली
बनाती चाची,अम्मा और भौजी …
दादी बिलौती दही छाछ
रोटी देती मक्खन वाली …
दादू के संग जाएं बाग में
चकित देख,आमों की डाली …
खीर बनाती मेवों वाली
खाते भर कर खूब कटोरी …
लेकिन डैडा को भाती
बस आलू भरी कचौरी …
सांझ ढले, चांदनी रात में
खेलें छुपन छुपाई …
अपनी बारी आने को थी
दादी ने आवाज लगाई …
ठंडे ठंडे बिस्तर छत पर
बच्चों को खूब आनंद आता …
बड़े भैया, दीदी, बुआ
फिर सुनाएंगे भूतों की गाथा …
हंसी खुशी से गया महीना
पता नहीं चल पाता …
बेटा बेटी भी होते उदास
काश!
एक दिन और बढ़ जाता…
बीता महीना, वापिस आने का
करते हैं फिर वादा …
अगले बरस की राह हैं तकते
बूढ़े नानूनानी, दादी दादा!!
मिल गया जैसे टॉनिक
और जीने का सहारा …
अब तो बीत जाएगा
मीठी यादों में, पूरा साल हमारा ………🙂
__ मनु वाशिष्ठ