नशा
आज हीरा और बुधिया एक साल बाद गांव लौटे थे। दोनों पास के शहर में कोयले की खदान में मजदूरी करते थे। दोनों को तनख्वाह के अलावा तीन महीने का बोनस भी मिला था।
अचानक आयी इतनी रकम से वो दोनों बहुत खुश थे। हीरा ने अपने लिए एक रेडियो खरीदा और बुधिया ने अपने लिए एक काला चश्मा।
अपने कच्चे मकान का ताला खोल कर वो घुसे तो आस पड़ोस के लोग भी मिलने आ पहुंचे। वो बड़ी शान से उनको अपना रेडियो दिखा रहे थे।बुधिया अपने काले चश्मे को अपने बालों पर चढ़ाकर पास खड़ी महिलाओं से जरा रौब दिखकार ही बात कर रही थी।
शाम को एक दो करीबियों को हीरा ने शराब और मछली की दावत भी दे डाली थी।
मकान के बाहर दो चारपाइयों डाली गई। शाम को जश्न का माहौल था। बुधिया मछलियां तल कर बाहर एक प्लेट में रख आयी।
तभी हीरा एक बोतल घर के अंदर खाना बनाती बुधिया के पास रख आया। वो कभी कभार ही लेती थी । पर आज बात ही कुछ और थी। उसने भी खाना बनाते हुए ग्लास में शराब डाल कर पीना शुरू कर दिया।
फिर मिलकर खाना खाया गया। करीबी लोग खाना खाकर कल मिलने का कहकर लड़खड़ाते हुए अपने अपने घर चले गए।
हीरा और बुधिया अब भी मस्ती में डूबे हुए थे। चांदनी रात
में रेडियो चलाकर दोनों लड़खड़ाते हुए नाचने लगे। तभी दूसरा गाना चलाने के लिए हीरा ने रेडियो स्टेशन बदलना शुरू किया।बुधिया के नाचते कदम रुक गए, उसने चिल्लाते हुए पूछा गाना क्यों बदल दिया। नशे से बोझिल झूमती आंखों ने एक दूसरे को गुस्से से देखा फिर झगड़ना चालू कर दिया।
पास पड़ोस की खिड़कियों से ताक झांक शुरू हो गयी,
तो कुछ नए रेडियो से जले भुने बैठे लोग अपने बिस्तर से ही कान लगाए खुश हो रहे थे।
रेडियो से घरघराहट की आवाज़ आ रही थी। बुधिया ने गुस्से मैं रेडियो को जोर से पटक दिया , उसके कल पुर्जे जमीन पर बिखर गए।
हीरा ने भी, झगड़ा देखने रुकी एक गाय के मुंह में जेब से कुछ बचे हुए रुपये निकाल कर डाल दिए , जिसे गाय चबाते चबाते निकल गयी।
बुधिया गुस्से में बड़बड़ाते हुए घर मे घुस कर दरवाजा बंद करके सो गई।
हीरा लड़खड़ाते हुए घर के सामने बिछी चारपाई में गालियां देते हुए सो गया।
पड़ोस की खिड़कियां अब खुश होकर बंद हो रही थी। कल बात करने और खिलखिलाने को बहुत कुछ होगा।
ये नशा कल उतर कर बहुत पछताने वाला था!!