भाभी बच्चा दी है
दोस्त एक दो दिनों के बाद स्कूल में दिखा तो हमने पूछ लिया कि कहाँ गायब थे?
उसने बहुत मासूमियत से जवाब दिया, मझली भाभी बच्चा दी है, घर पर बहुत काम था।
ये सुनते ही हम खिलखिला उठे। बच्चे तो बकरियाँ और गायें देती हैं!!!
हम सब शायद ये सुनना चाहते थे कि वो कहेगा कि मझली भाभी को बेटा हुआ है,
या फिर कि, वो भी अब चाचा बन गया है ,इस भाव के साथ कि वो अब घर में सबसे छोटा नहीं रहा। अब उसकी भी जैसे पदोन्नति हो गयी है!
या इससे उलट ये एक झलक दिखती, कि उसका घर में सबसे छोटा होने का विशेषाधिकार जो अब तक उसके पास था किसी और के पास चला गया है।
पर उसके पास इस बात को व्यक्त करने को यही शब्द थे।
उसकी भाभी का चेहरा घूम गया, हम सबसे जब भी मिलती थी बहुत स्नेह रखती थी और बहुत ही हंसमुख स्वभाव की थी।
उसके शब्दों ने, हम सब की भी ,उस छोटे बच्चे से अपनी चाचा वाली रिश्तेदारी की खुशी, थोड़ी देर के लिए कम कर दी थी। हम उसे देखे बिना, एक बकरी के बच्चे जैसा कुछ समझ बैठे।
कुछ सालों बाद मेरी एक दूर की रिश्तेदार की अपने चौथे बच्चे के प्रसव के दौरान मौत हो गयी। पहले तीन बेटियाँ हुई थी। नवजात बेटे को किसी तरह बचा लिया गया।
मेरे मन में यही खयाल आया, वो अपने बच्चे देकर चली गयी।
फर्क कुछ भी तो नहीं था। स्कूल के जमाने के हम ६४ करोड़ लोग तब से देश को बच्चे ही तो दिए जा रहे हैं बस!!!