गांधी वादी सोनम वांगचुक, और आज के परिवेश!
सोनम वांगचुक और वर्तमान परिवेश,
गांधी वादी सत्याग्रह,
और सरकार का संदेश,
शांति पूर्ण अभिव्यक्ति,
सरकारी विरक्ति,,
एक राज्य के दो भाग,
एक में शांति पूर्ण प्रदर्शन,
एक में गोलियों की आवाज,
फिर भी उपेक्षा और असंतोष,
क्या है मंतव्य, क्या है दृष्टिदोष,
सावधान,
आज के परिवेश में सत्याग्रह,
स्वीकार्य नहीं यह दुराग्रह,
घोषित हो सकते हो,
अर्बन नक्सली,
परजीवी,
या फिर राष्ट्र भक्त नकली,
धरने प्रदर्शन ,
रैलियां हों या पदयात्रा,
एक सीमा तक ही सीमित है,
इसकी मात्रा,
सीमाओं का उलंघन बर्दाश्त नहीं,
प्रोफेसर अग्रवाल याद नहीं,
सकेतों को समझा नही,
जान गंवानी पडी,
प्राणों की आहुति की कोई चर्चा हुई नहीं,
होशो हवाश में रहा करो,
सरकारी तंत्र से डरा करो,
देश समाज का सवाल है,
तिसरी अर्थ व्यवस्था का उबाल है,
रोजगार-बेरोजगार की बातें अर्थहीन,
अंबानी अडानी में सब विलीन,
चुनावी लोकतंत्र के हम हैं महारथी,
देश विदेश में हम ही हमीं,
हारना हमें स्वीकार नहीं,
चुनाव आयोग की बातें हैं सही,
विपक्ष प्रति पक्ष करता रहे रोणा धोणा,
जो हम चाहेंगे वही है होणा,
आरोप प्रत्यारोप में क्या है धरा ,
जब ये सत्ता में रहे थे तो है क्या करा ,
यह सब ऐसे ही चलता रहा है,
और चलता रहेगा,
आम नागरिक को तो भरपेट भोजन की है दरकार ,
उसके लिए फिर चाहे,
हो कोई भी सरकार ,
उसे कहाँ है इतना सोचना समझना ,
उसके लिए जो चल रहा है
वही रहे चलते रहना !!