गाँव
गाँव(हाईकु)
अपनापन
बस यहीं हैं जीता
हमारा गाँव!!
गीत सुनाती
गाँव की पगडंडी
रोज बुलाती!!
आम के बाग
पँछी चहचहाते
मन को भाते!!
गौरया चुगे
लहलहाती पौध
धान की बाली!!
खेतों की मिट्टी
किसानों का पसीना
देश के लिए !!
कच्ची माटी में
जीवन का संगीत
गाँव की रीत!!
कुएं का पानी
लिट्टी-चोखा का स्वाद
क्या एहसास!!
भरे किसान
खलिहान में खान
अनाज सोना!!
बड़ी शर्मीली
शोख रंग रंगीली
गाँव की गोरी!!
रात अन्हार
दिन सूर्य उज़ार
नहीं लाचार!!
बदली हवा
खो रही मानवता
बचे हैं गाँव!!
सत्य वचन
भारत गाँवों में है
सच्चा भारत!!
मौलिक
आभा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश