गाँव की होली…
आओ खेलें होली यारा।
रंगों से झूमें गलियारा।
भूलकर सारे भेद भाव,
खुशियों से नाचे गाँव सारा,।।
दौड़ो दौड़ो उसको पकड़ो।
रंग लगाकर खूब जकड़ो ।
छूट न पाए देखों कोई जन,
ध्यान रहें आपस में न झगड़ो ।।
सबके चेहरे देखों हुए है लाल ।
कोई न पहचाने ये किसका लाल ।
घुल गए हैं माटी में नवरंग,
यहाँ वहाँ उड़ रही हैं गुलाल ।।
देखों देखों आ रही है टोली ।
बोल रहे बुरा न मानो है होली ।
हो रहीं है रंगों की बारिश,
गूँज रही हैं बस होली की बोली ।।
ऐसे होते हमारे त्यौहार ।
जिनसे मिलती खुशियाँ अपार ।
बड़े हो या फिर हमारे बच्चे,
सब सीखते हैं संस्कार ।।
——जेपीएल