एहसास कभी ख़त्म नही होते ,
नही आवड़ै
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
नए साल तुम ऐसे आओ!
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
कोयले में मैंने हीरा पहचान लिया,
शिक्षक उस मोम की तरह होता है जो स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश
ग़ज़ल–मेरा घराना ढूंढता है
बहुत खूबसूरत सुबह हो गई है।
जगे युवा-उर तब ही बदले दुश्चिंतनमयरूप ह्रास का
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
तेरी वफाएं जब मेरा दिल तोड़ जाती है
*याद रखें वह क्रूर परिस्थिति, जिस कारण पाकिस्तान बना (दो राध
"मैं" के रंगों में रंगे होते हैं, आत्मा के ये परिधान।