गाँधी जी पर गीत
आँधियाँ बापू सच की चलाई जहाँ
झूठ की ही हवा का वहाँ वास है
थी बहाई अहिंसा की गंगा यहाँ
फिर जगी क्यों हुई खून की प्यास है
ज़िन्दगी ये नहीं आ रही रास है
बापू तुम लड़ लिये ढाल तलवार बिन
काम चलता नहीं आज हथियार बिन
प्रेम का अब नहीं सजता बाज़ार है
हर तरफ नफरतों का ही व्यापार है
जो मिटा दे अँधेरा दिलों पर घिरा
ऐसी फिर रोशनी की बड़ी आस है
ज़िन्दगी ये नहीं आ रही रास है
धर्म का मार्ग हमको दिखाया सदा
बोल, सुन, कर बुरा मत सिखाया सदा
हम जयंती मनाते तुम्हारी रहे
सीख लेकिन भुलाते तुम्हारी रहे
रूप नेताओं का भी है बदला हुआ
नीतियों पर तुम्हारी न विश्वास है
ज़िन्दगी ये नहीं आ रही रास है
चाहिए फिर हमें शास्त्री या तिलक
तोड़ दे जो ये फैले हुये सब मिथक
लाजपत बोस आज़ाद से वीर हों
पास जिनके वतन प्रेम के तीर हों
जो मरे या जिये बस वतन के लिये
ऐसा गांधी न अब देश के पास है
ज़िन्दगी ये नहीं आ रही रास है
06-10-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद